इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर महंगे हो सकते हैं:बजाज, एथर और TVS घटाएंगी प्रोडक्शन, चीन से आने वाले रेयर अर्थ मैग्नेट की शॉर्टेज का असर
चीन की ओर से कीमती धातुओं (रेयर अर्थ मटेरियल) के एक्सपोर्ट पर पाबंदी लगाने का असर भारतीय EV मार्केट पर दिखने लगा है। देश में टॉप इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर कंपनियां बजाज ऑटो, एथर एनर्जी और TVS मोटर प्रोडक्शन घटाने जा रही हैं। ईटी की रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले 4 महीने से चीन से इंपोर्ट की जाने वाली रेयर अर्थ मैग्नेट की कमी से भारतीय कंपनियां जूझ रही हैं। ये मैग्नेट इलेक्ट्रिक मोटर्स के लिए बेहद जरूरी हैं और बिना इनके इलेक्ट्रिक व्हीकल बनाने में दिक्कत हो रही है। प्रोडक्शन घटने से इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर की कीमतें बढ़ सकती हैं। इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर बनाने वाली कंपनियां ये 4 कंपनियां भारत में बिकने वाले 80% इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर बनाती हैं। चीन के साथ बातचीत कर रही हैं केंद्र सरकार ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री और केंद्र सरकार चीन के साथ बातचीत कर रही हैं, ताकि मैग्नेट की आपूर्ति फिर से शुरू हो। इसके अलावा, वियतनाम, इंडोनेशिया और जापान जैसे देशों से भी सप्लाई के लिए बात चल रही है, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं मिला है। जून में भारतीय ऑटोमोबाइल निर्माता सोसाइटी (SIAM) ने चेतावनी दी थी कि अगर सप्लाई जल्द शुरू नहीं हुई, तो निर्माताओं को प्रोडक्शन कम करना पड़ सकता है। चीन की पाबंदियां बनी रहीं, तो महंगी होंगी ईवी अगर चीन की पाबंदियां बनी रहीं, तो ग्लोबल लेवल पर इलेक्ट्रिक व्हीकल बनाने वाली कंपनियों पर इसका असर देखने को मिलेगा। कच्चे माल की कीमतें बढ़ेंगी, जिससे गाड़ियों के दाम भी ऊपर जा सकते हैं। भारत सहित सभी बाजारों में भी इसका असर धीरे-धीरे दिखेगा। भारत में विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि चीन से इम्पोर्ट जल्द शुरू न हुआ तो इलेक्ट्रिक और ICE वाहनों के कारखानों का प्रोडक्शन रुक सकता है। भारत में मैन्युफैक्चरर्स के पास 6 से 8 हफ्तों की सप्लाई बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में EV ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चर्रस के पास 6 से 8 हफ्तों की REM सप्लाई बची है, वहीं CNBC-TV18 को टीवीएस मोटर के मैनेजिंग डायरेक्टर सुदर्शन वेणू ने बताया था कि चीन के प्रतिबंधों का असर जून या जुलाई के उत्पादन में देखने को मिल सकता है। अगर ऐसा होता है तो भारतीय EV उत्पादकों के लिए परेशानी खड़ी हो सकती है। गाड़ी में रेयर अर्थ मटेरियल्स का इस्तेमाल कहां होता है रेयर मटेरियल्स का इस्तेमाल खास तौर पर इलेक्ट्रिक गाड़ियों में किया जाता है। इनका उपयोग परमानेंट मैग्नेट इलेक्ट्रिक मोटर्स के लिए कॉम्पेक्ट और हाई परफॉर्मेंस मेग्नेट बनाने के लिए किया जाता है। नियोडिमियम, डिस्प्रोसियम और टेरबियम जैसे तत्वों से बने ये चुंबक, मोटरों को छोटे, हल्के और अन्य ऑप्शन की तुलना में ज्यादा एफिशिएंट बनाते हैं, जो ईवी की रेंज और परफॉर्मेंस को बेहतर बनाने के लिए जरूरी है। इनका इस्तेमाल ICE वाली गाड़ियों में लगने वाले केटेलिक कन्वर्टर्स जैसे ऑटो कंपोनेंट्स में भी किया जाता है। इसके अलावा ईवी और ICE दोनों तरह के व्हीकल में लगने वाले कई सिस्टम में सेंसर से लेकर डिस्प्ले तक में इन धातुओं का इस्तेमाल किया जाता है। रेयर मटेरियल्स की माइनिंग में चीन की करीब 70% हिस्सेदारी बता दें कि ग्लोबल लेवल पर रेयर मटेरियल्स की माइनिंग में चीन की हिस्सेदारी करीब 70% और प्रोडक्शन में करीब 90% तक है। चीन ने हाल ही में अमेरिका के साथ बढ़ती ट्रेड वॉर के बीच 7 कीमती धातुओं (रेयर अर्थ मटेरियल) के निर्यात पर रोक लगा दी थी। चीन ने कार, ड्रोन से लेकर रोबोट और मिसाइलों तक असेंबल करने के लिए जरूरी मैग्नेट यानी चुंबकों के शिपमेंट भी चीनी बंदरगाहों पर रोक दिए हैं। ये मटेरियल ऑटोमोबाइल, सेमीकंडक्टर और एयरोस्पेस बिजनेस के लिए बेहद अहम हैं। स्पेशल परमिट के जरिए ही होगा एक्सपोर्ट चीन ने 4 अप्रैल को इन 7 कीमती धातुओं के निर्यात पर रोक लगाने का आदेश जारी किया था। आदेश के मुताबिक ये कीमती धातुएं और उनसे बने खास चुंबक सिर्फ स्पेशल परमिट के साथ ही चीन से बाहर भेजे जा सकते हैं। कंपनियों को चीन से मैग्नेट मंगाने के लिए 'एंड-यूज सर्टिफिकेट' देना होगा। इसमें यह बताना पड़ेगा कि यह चुंबक सैन्य उद्देश्यों के लिए तो नहीं हैं।
from टेक - ऑटो | दैनिक भास्कर https://ift.tt/w6a3iGC
from टेक - ऑटो | दैनिक भास्कर https://ift.tt/w6a3iGC
Comments
Post a Comment