फ्यूल स्विच बंद होने से हुआ अहमदाबाद विमान हादसा:क्या ये गलती से ऑफ हो सकता है, AAIB की पूरी रिपोर्ट आसान भाषा में समझें
एअर इंडिया की फ्लाइट AI-171 की शुरुआती जांच रिपोर्ट आ गई है। AAIB यानी एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो ने 12 जुलाई को 15 पेज की रिपोर्ट सार्वजनिक की। शुरुआती नतीजों से पता चलता है कि जेट के दोनों इंजनों में फ्यूल फ्लो को कंट्रोल करने वाले स्विच बंद हो गए थे, इसलिए टेकऑफ के तुरंत बाद इंजन बंद हो गए और विमान का थ्रस्ट (उड़ने के लिए जरूरी पावर) खत्म हो गया। पायलट ने दोबारा इन्हें चालू करने की कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं हो सके। कॉकपिट की रिकॉर्डिंग से पता चला है कि एक पायलट ने दूसरे से पूछा था कि क्या तुमने स्विच बंद किया है? दूसरे ने जवाब दिया, नहीं। यहां हम फ्यूल कंट्रोल स्विच की तकनीक और AAIB की पूरी रिपोर्ट को डिटेल में बता रहे हैं। रिपोर्ट में ये भी सामने आया है कि उड़ान से पहले फ्लाइट के एक सेंसर में परेशानी थी जिसे ठीक किया गया। इस हादसे में 242 यात्रियों और क्रू मेंबर्स में से 241 की मौत हो गई। सिर्फ एक भारतीय मूल के ब्रिटिश यात्री की जान बची। यह बोइंग 787-8 के इतिहास का पहला क्रैश था। फ्यूल कंट्रोल स्विच का काम और तकनीक फ्यूल कंट्रोल स्विच विमान के कॉकपिट में थ्रस्ट लीवर के पास होते हैं। ये इंजन में फ्यूल की सप्लाई को कंट्रोल करते हैं। इसका मुख्य काम इंजन में फ्यूल की सप्लाई को शुरू करना ('रन' पोजिशन) या बंद करना ('कटऑफ' पोजिशन) है। हर इंजन के लिए अलग-अलग फ्यूल कंट्रोल स्विच होता है। उदाहरण के लिए, बोइंग 787 में दो इंजन हैं, तो दो स्विच होंगे - एक बाएं इंजन के लिए, एक दाएं के लिए। फ्यूल कंट्रोल स्विच स्प्रिंग-लोडेड होते हैं और इनमें डिटेंट (एक तरह का लॉक) होता है, जो इन्हें अपनी पोजिशन में स्थिर रखता है। स्विच को हिलाने के लिए तीन स्टेप्स चाहिए - पकड़ना, डिटेंट से बाहर निकालना और रिलीज करना। ये कोई नॉर्मल स्विच नहीं है जो गलती से धक्का लगने से दब जाए जाए। AAIB की रिपोर्ट को आसान भाषा में समझते हैं… 12 जून 2025 का दिन। एअर इंडिया का B787-8 विमान दिल्ली से अहमदाबाद हवाई अड्डे पर पहुंचा। विमान सुबह 11:17 बजे उतरा और इसे बे 34 पर पार्क किया गया। क्रू ने टेक लॉग में 'STAB POS XDCR' स्टेटस मैसेज के लिए पायलट डिफेक्ट रिपोर्ट (PDR) दर्ज की थी। ये एक सेंसर होता है जो विमान के हॉरिजॉन्टल स्टेबलाइजर (टेल का हिस्सा जो पिच कंट्रोल करता है) की पोजिशन को मापता है। अगर इसमें कोई खराबी आती है, तो ये स्टेटस मैसेज टेक लॉग में दर्ज होता है, जैसा कि इस मामले में हुआ। इसका काम फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम को स्टेबलाइजर की सही स्थिति बताना है, ताकि विमान की स्थिरता और नियंत्रण बना रहे। इसे फॉल्ट आइसोलेशन मैन्युअल के हिसाब से ठीक किया गया और विमान को 12:10 PM पर उड़ान के लिए रिलीज कर दिया। विमान को फ्लाइट AI171 के रूप में अहमदाबाद से लंदन के गैटविक एयरपोर्ट के लिए उड़ान भरनी थी। इसका एस्टीमेटेड डिपार्चर टाइम 13:10 PM था। फ्लाइट को ATPL होल्डर PIC, CPL होल्डर को-पायलट और दस केबिन क्रू द्वारा संचालित किया जाना था। दोनों पायलट मुंबई बेस्ड थे और पिछले दिन अहमदाबाद पहुंचे थे। फ्लाइट से पहले पर्याप्त रेस्ट लिया था। को-पायलट इस फ्लाइट के लिए पायलट फ्लाइंग (PF) था और PIC पायलट मॉनिटरिंग (PM) था। इस फ्लाइट के पायलट सुमीत सभरवाल और को-पायलट क्लाइव कुंदर थे। सुमित को 8,200 घंटे से ज्यादा का फ्लाइंग एक्सपीरियंस था। को पायलट को भी 1,100 घंटे का फ्लाइंग एक्सपीरियंस था। यानी, दोनों एक्सपीरियंस्ड पायलट थे। AI171 के क्रू सुबह 11:55 AM पर हवाई अड्डे पहुंचे और प्री-फ्लाइट ब्रेथ एनालाइजर टेस्ट से गुजरे। इसमें वे फ्लाइट के लिए फिट पाए गए। CCTV रिकॉर्डिंग में क्रू को सुबह 12:35 PM पर बोर्डिंग गेट पर पहुंचते देखा गया। विमान में 230 यात्री थे। 15 बिजनेस क्लास में थे। 215 इकोनॉमी में थे, जिनमें दो शिशु भी थे। विमान में 54,200 किलो ईंधन था और लोड और ट्रिम शीट के अनुसार, टेक-ऑफ वजन 2,13,401 किलो था (अधिकतम अनुमति - 2,18,183 किलो)। टेक-ऑफ वजन दी गई परिस्थितियों के लिए अनुमति के दायरे में था। विमान में कोई 'खतरनाक सामान' नहीं था। उपलब्ध परिस्थितियों में टेक-ऑफ के लिए गणना की गई V स्पीड थी: V1 - 153 नॉट्स, Vr - 155 नॉट्स, V2 - 162 नॉट्स। दुर्घटना के बाद A-SMGCS रीप्ले भी किया गया। V1, Vr, और V2 वो खास गति हैं, जो बताती हैं कि विमान कब रुक सकता है, कब उड़ना शुरू करेगा, और उड़ान के बाद सुरक्षित ऊंचाई कैसे पाएगा। A-SMGCS रीप्ले से दुर्घटना की जांच के लिए विमान की जमीन पर हरकतों का वीडियो जैसा रिकॉर्ड देखा गया, ताकि ये समझा जा सके कि टेक-ऑफ से पहले क्या हुआ। विमान को बे 34 से 1:18:38 PM पर निकलते देखा गया। टैक्सी क्लीयरेंस 1:25:15 PM पर मिली और विमान 1:26:08 PM पर बे से टैक्सी करने लगा। विमान टैक्सीवे R4 के रास्ते रनवे 23 तक गया, बैकट्रैक किया और लाइन अप किया। टेक-ऑफ क्लीयरेंस 1:37:33 PM पर मिला। विमान ने 1:37:37 PM पर रोल शुरू किया। EAFR डेटा (फ्लाइट डेटा और कॉकपिट की आवाज़ रिकॉर्ड करता है) के अनुसार, विमान ने टेक-ऑफ डिसीजन स्पीड V1 को पार किया और 1:38:33 PM पर 153 नॉट्स IAS हासिल किया। Vr स्पीड (155 नॉट्स) 1:38:35 PM पर हासिल हुई। विमान के एयर/ग्राउंड सेंसर 1:38:39 PM पर एयर मोड में बदल गए, जो लिफ्टऑफ के साथ मेल खाता है। विमान ने अधिकतम 180 नॉट्स IAS की स्पीड 1:38:42 PM पर हासिल की और तुरंत बाद, इंजन 1 और इंजन 2 के फ्यूल कटऑफ स्विच एक के बाद एक, 1 सेकंड के अंतराल के साथ RUN से CUTOFF पोजीशन में चले गए। इंजन N1 और N2 की गति टेक-ऑफ वैल्यू से कम होने लगी, क्योंकि इंजनों को ईंधन की सप्लाई बंद हो गई। कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डिंग में एक पायलट को दूसरे से पूछते सुना गया कि उसने कटऑफ क्यों किया। दूसरे पायलट ने जवाब दिया कि उसने ऐसा नहीं किया। हवाई अड्डे के CCTV फुटेज में लिफ्टऑफ के तुरंत बाद शुरुआती चढ़ाई के दौरान रैम एयर टरबाइन (RAT) के डिप्लॉय होना देखा गया। फ्लाइट पाथ के आसपास कोई खास बर्ड मूवमेंट नहीं देखा गया। विमान हवाई अड्डे की परिधि दीवार को पार करने से पहले ऊंचाई खोने लगा। EAFR डेटा के मुताबिक, दोनों इंजनों की N2 स्पीड (इंजन का एक हिस्सा जो रोटेशन गति दिखाता है) न्यूनतम निष्क्रिय गति से भी कम हो गई। इसके बाद, रैम एयर टरबाइन (RAT) ने 1:38:47 PM पर काम शुरू किया। रैट एक छोटा टरबाइन होता है और आपातकाल में हाइड्रॉलिक पावर देता है। EAFR के अनुसार, इंजन 1 का फ्यूल कटऑफ स्विच 1:38:52 PM पर CUTOFF से RUN में आया। APU इनलेट डोर 1:38:54 PM पर खुलना शुरू हुआ, जो APU ऑटो स्टार्ट लॉजिक के साथ मेल खाता है। APU यानी ऑक्जिलरी पावर यूनिट एक छोटा इंजन है, जो विमान को बिजली और हाइड्रॉलिक पावर देता है, खासकर जब मुख्य इंजन बंद हों या फेल हो जाएं। इनलेट डोर खुलने से APU को हवा मिलती है, ताकि वो चालू हो सके। इस मामले में, APU इनलेट डोर 1:38:54 PM IST पर खुलना शुरू हुआ, जो दिखाता है कि विमान का सिस्टम आपात स्थिति में APU को चालू करने की कोशिश कर रहा था। इसके बाद 1:38:56 PM पर इंजन 2 का फ्यूल कटऑफ स्विच भी CUTOFF से RUN में आया। जब फ्यूल कंट्रोल स्विच को उड़ान के दौरान CUTOFF से RUN में किया जाता है, तो प्रत्येक इंजन का फुल अथॉरिटी डुअल इंजन कंट्रोल (FADEC) स्वचालित रूप से रिलाइट और थ्रस्ट रिकवरी सीक्वेंस को मैनेज करता है, जिसमें इग्निशन और ईंधन की आपूर्ति शामिल होती है। दोनों इंजनों के लिए EGT बढ़ता हुआ देखा गया, जो रिलाइट का संकेत देता है। EGT का मतलब एग्जॉस्ट गैस टेम्प्रेचर । यह विमान के इंजन में निकलने वाली गैसों का तापमान मापता है। EGT इंजन की सेहत और परफॉर्मेंस का एक महत्वपूर्ण संकेतक है। अगर EGT बढ़ता है, तो ये दर्शाता है कि इंजन में ईंधन जल रहा है। इंजन 1 की गति (कोर स्पीड) जो कम हो रही थी, वो रुक गई, फिर बढ़ने लगी और इंजन धीरे-धीरे ठीक होने की ओर बढ़ा। इंजन 2 दोबारा चालू (रिलाइट) तो हुआ, लेकिन उसकी गति कम होने से नहीं रुकी। इसे बढ़ाने के लिए बार-बार ईंधन डाला गया, पर सफलता नहीं मिली। लगभग 1:39:05 PM पर, एक पायलट ने "MAYDAY MAYDAY MAYDAY" ट्रांसमिट किया। ATCO ने कॉल साइन के बारे में पूछा। ATCO को कोई जवाब नहीं मिला, लेकिन उसने देखा कि विमान हवाई अड्डे की सीमा के बाहर क्रैश हो गया और उसने आपातकालीन प्रतिक्रिया शुरू की। विमान के डेटा रिकॉर्डर की रिकॉर्डिंग 1:39:11 PM पर बंद हो गई। 1:44:44 PM पर, क्रैश फायर टेंडर ने रेस्क्यू और फायरफाइटिंग के लिए एयरपोर्ट प्रिमाइसेज को छोड़ा। उनके साथ स्थानीय प्रशासन की फायर और रेस्क्यू सेवाएं भी शामिल हुईं। एविएशन एक्सपर्ट और कॉमर्शियल पायलट कैप्टन स्टीव के अनुसार कुछ खास स्थितियों में पायलट एक या दोनों स्विच को कटऑफ कर सकते हैं: 1. सिंगल इंजन फेल्योर: पायलट ट्रेनिंग में एक इंजन फेल्योर होने पर 400 फीट से पहले कुछ नहीं छूते। पायलट चेकलिस्ट फॉलो करते हैं और हर कदम पर डबल कन्फर्मेशन होता है। फ्यूल कंट्रोल स्विच को कटऑफ करने से पहले दोनों पायलट कन्फर्म करते हैं। 2. ड्यूल इंजन फेल्योर: इस स्थिति में फ्यूल स्विच को कटऑफ करके तुरंत वापस रन पर करना होता है। लेकिन इस केस में ऐसा नहीं हुआ। कोई ऐसी प्रक्रिया नहीं है जिसमें दोनों स्विच कटऑफ पर छोड़ दिए जाएं, खासकर टेकऑफ के तुरंत बाद। तो क्या यह पायलट की गलती थी? अगर एक इंजन फेल हुआ और पायलट ने गलती से दूसरा फ्यूल कंट्रोल स्विच भी कटऑफ कर दिया, तो क्या ये संभव है? इसकी संभावना बहुत कम है। दोनों स्विच को गलती से कटऑफ में डालना असंभव-सा लगता है। क्या ये गलती से हो सकता है? नहीं। ये स्विच सामान्य लाइट स्विच जैसे नहीं हैं। इन्हें ऑपरेट करने के लिए खास मेहनत चाहिए। इन्हें दो उंगलियों से पकड़ना पड़ता है, डिटेंट से बाहर निकालना पड़ता है, और फिर कटऑफ पोजीशन में रिलीज करना पड़ता है। ये कोई आकस्मिक गलती नहीं हो सकती। अब सवाल है, ऐसा क्यों हुआ? इसका जवाब शायद हमें कभी न मिले। जांच कहां तक पहुंची:
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