सी-एज टेक्नोलॉजीज पर रैनसमवेयर हमले से 300 छोटे बैंक प्रभावित:ATM से नकदी नहीं निकाल पा रहे ग्राहक, UPI ट्रांजेक्शन भी नहीं हो पा रहा

टेक्नोलॉजी सर्विस प्रोवाइडर सी-एज टेक्नोलॉजीस पर बुधवार रात साइबर हमला हो गया। इससे देशभर के करीब 300 छोटे बैंक और फाइनेंशियल इन्स्टीट्यूशन्स का बैंकिंग से जुड़ा कामकाज बंद पड़ गया है। ग्राहक ATM से नकदी नहीं निकाल पा रहे हैं। वहीं, UPI से अमाउंट ट्रांसफर करने में भी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। दो दिन से पैमेंट सिस्टम में आ रही दिक्कत अधिकारियों ने कहा कि इस तकनीकी समस्या का असर उन सहकारी बैंकों और ग्रामीण क्षेत्रीय बैंकों के ग्राहकों पर पड़ा है, जो SBI और TCS के जॉइंट वेंचर सी-एज टेक्नोलॉजीस पर निर्भर हैं। हालांकि, अन्य बैंकिंग सेवाएं सामान्य रूप से काम कर रही हैं। सी-एज टेक्नोलॉजीज के सिस्टम में सेंधमारी का पता चलने के बाद पिछले दो दिन से इस समस्या का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि बड़ी पैमेंट सिस्टम की सुरक्षा के लिए सी-एज सिस्टम को अलग करना पड़ा है और जरूरी सावधानियां बरतनी पड़ीं। रैनसमवेयर यानी डिजिटल फिरौती रैनसमवेयर एक तरह का मालवेयर होता है, जो आपके कंप्यूटर में घुसकर एक्सेस हासिल कर लेता है। वो आपकी सभी फाइल को एन्क्रिप्टेड कर देता है। डेटा और एक्सेस वापस देने के एवज में फिरौती की मांग करता है। आसान भाषा में इसे किडनैपिंग समझ सकते हैं। कोई लुटेरा आपके सिस्टम और डेटा को कैद कर लेता है और उसके बदले फिरौती मांगता है। फिरौती देने के बाद वो चाहे तो आपका डेटा वापस कर दे या उसे खत्म कर सकता है। रैनसमवेयर का पहला मामला बेकर्स हॉस्पिटल रिव्यू वेबसाइट के मुताबिक दुनिया का पहला रैनसमवेयर अटैक 1989 में हुआ था। इसे एड्स रिसर्चर जोसेफ पोप ने अंजाम दिया था। जोसेफ ने दुनिया के 90 देशों में 20 हजार फ्लॉपी डिस्क बंटवाई। उन्होंने कहा कि इस डिस्क में एड्स के खतरों का एनालिसिस है। डिस्क में एक मालवेयर प्रोग्राम भी था, जो उन सभी कंप्यूटर्स में एक्टिव हो गया। डेटा के बदले उस वक्त 189 डॉलर की फिरौती मांग गई थी। इस रैनसमवेयर अटैक को AIDS Trojan के नाम से जाना जाता है। भारत के बड़े रैनसमवेयर हमले

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