Jio ने स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए ₹3000 करोड़ जमा किए:ये एयरटेल से 3 और VI से 10 गुना ज्यादा, DoT को ₹10,000 करोड़ मिलने की उम्मीद
रिलायंस जियो ने 5G स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए अर्नेस्ट मनी डिपॉजिट (EMD) यानी बयाना राशि के रूप में 3,000 करोड़ रुपए जमा किए हैं, जो टॉप-3 टेलिकॉम कंपनियों में भारती एयरटेल लिमिटेड से 3 गुना और वोडाफोन आइडिया (Vi) से 10 गुना ज्यादा है। टेलिकॉम डिपार्टमेंट (DoT) के अनुसार, भारती एयरटेल ने 1,050 करोड़ रुपए जमा किए हैं, जबकि वोडाफोन आइडिया (Vi) ने 300 करोड़ रुपए जमा किए हैं। नीलामी में 20 साल के लिए स्पेक्ट्रम अधिकार दिए जाएंगे, जिसमें कंपनियों को हर साल किस्तों में भुगतान करना होगा। वोडाफोन और एयरटेल को लाइसेंस रिन्यू करना होगा खास बात यह है कि जियो ने 6 जून को होने वाली नीलामी के लिए मैक्सिमम राशि जमा कर दी है, जबकि उसका कोई भी लाइसेंस नवीनीकरण के लिए नहीं आ रहा है। वहीं एयरटेल और VI दोनों को अपकमिंग नीलामी में कुछ सर्किलों में एयरवेव्स को रिन्यू कराना होगा। अपकमिंग नीलामी में एयरटेल को जम्मू-कश्मीर, ओडिशा, बिहार, UP (पूर्व), पश्चिम बंगाल और असम में एयरवेव्स को रिन्यूवल करने की जरूरत है। वहीं, हाल ही में FPO के जरिए फंड जुटाने वाली वोडाफोन आइडिया को पश्चिम बंगाल और यूपी पश्चिम सर्कल में स्पेक्ट्रम को रिन्यूवल कराना होगा। 96.31 हजार करोड़ के बेस प्राइस पर होगी नीलामी न्यूज एजेंसी के अनुसार, सरकार मोबाइल फोन सेवाओं के लिए 8 स्पेक्ट्रम बैंड की नीलामी करेगी। इसमें 800 मेगाहर्ट्ज, 900 मेगाहर्ट्ज, 1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज, 2,300 मेगाहर्ट्ज, 2,500 मेगाहर्ट्ज, 3,300 मेगाहर्ट्ज और 26 गीगाहर्ट्ज बैंड शामिल हैं। नीलामी में सभी उपलब्ध स्पेक्ट्रम को 96,317.65 करोड़ रुपए के बेस प्राइस पर नीलामी में रखा जाएगा। इस नीलामी में दिवालियेपन से गुजर रही कुछ कंपनियों के पास मौजूद स्पेक्ट्रम के अलावा 2024 में अवधि पूरी होने पर एक्सपायर होने वाले स्पेक्ट्रम को भी रखा जाएगा। पिछली निलामी में जियो ने ₹88,078 करोड़ खर्च किए थे इससे पहले 2022 में हुई पिछली नीलामी में जियो ने सबसे ज्यादा 5G स्पेक्ट्रम पर 88,078 करोड़ रुपए खर्च किए थे। इसके बाद एयरटेल ने 43,084 करोड़ रुपए और वोडाफोन आइडिया ने 18,799 करोड़ रुपए खर्च किए थे। 2022 की स्पेक्ट्रम नीलामी में, सरकार ने 20 साल की वैलिडिटी के साथ 72,097.85 MHz स्पेक्ट्रम ऑफर किया गया था। वहीं अडाणी ग्रुप की कंपनी का नाम अचानक बोली लगाने वालों में सामने आया था। हालांकि, इस बार की नीलामी में कोई नया नाम नहीं है। DoT को 10,000 करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद डिपार्टमेंट ऑफ टेलिकॉम (DoT) को इस बार नीलामी में टेलिकॉम ऑपरेटरों से ज्यादा अच्छे रिस्पॉन्स की उम्मीद नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले साल ही कंपनियों ने काफी सारा स्पेक्ट्रम खरीदा था। कंपनियों का फोकस उन स्पेक्ट्रम के टॉपअप पर होगा जो उनके ऑपरेशन में हैं और एक्सपायर होने जा रहे हैं। टेलिकॉम डिपार्टमेंट को नीलामी से करीब 10,000 करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है। स्पेक्ट्रम क्या है और यह कैसे काम करता है? एयरवेव्स इलेक्ट्रोमैग्नेटिक स्पेक्ट्रम के भीतर रेडियो फ्रीक्वेंसी हैं जो टेलिकॉम सहित कई सर्विसेज के लिए वायरलेस तरीके से सूचना ले जा सकती हैं। सरकार इन एयरवेव्स का मैनेजमेंट और आवंटन करती है। स्पेक्ट्रम को लो फ्रीक्वेंसी से लेकर हाई फ्रीक्वेंसी तक के बैंड में डिवाइड किया जा सकता है। हाई-फ्रीक्वेंसी वेव ज्यादा डेटा ले जाती हैं और लो-फ्रीक्वेंसी वेव की तुलना में तेज होती हैं, लेकिन इन्हें आसानी से ब्लॉक या ऑब्सट्रक्ट किया जा सकता है। लोअर-फ्रीक्वेंसी वेव वाइडर कवरेज प्रदान कर सकती हैं। इंटरनेट का पांचवां जनरेशन 5G इंटरनेट नेटवर्क के पांचवें जनरेशन को 5G कहते हैं। यह एक वायरलेस ब्रॉडबैंड इंटरनेट सर्विस है, जो तरंगों के जरिए हाई स्पीड इंटरनेट सेवा उपलब्ध कराती है। इसमें मुख्य तौर पर तीन तरह के फ्रीक्वेंसी बैंड होते हैं। 5G के शुरू होने से काम होगा आसान 5G इंटरनेट सेवा के शुरू होने से भारत में काफी कुछ बदलने वाला है। इससे न सिर्फ लोगों का काम आसान होगा, बल्कि एंटरटेनमेंट और कम्युनिकेशन सेक्टर में भी काफी कुछ बदल जाएगा। 5G के लिए काम कर रही कंपनी एरिक्सन का मानना है कि 5 साल में भारत में 50 करोड़ से ज्यादा 5G इंटरनेट यूजर की संख्या होने वाली है। 5G शुरू होने से क्या फायदे होंगे?
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